aslam sonu laxminiya

Tuesday, 29 March 2016

shamin imtiyaz love story with aslam sonu

  • उससे मिलने से पहले जीवन में कुछ खोखलापन सा था, एक अजीब सा खालीपन था, जिसे आजतक मेरे अलावा किसी ने महसूस  नहीं किया था. मैं स्वभाव से बहुत चंचल थी इस कारण, मेरे आसपास काफी लोग रहते थे. इसके बावजूद कि मैं बहुत बोलती थी, मेरे जीवन का एक दूसरा पहलु भी था. और जीवन के उस हिस्से में आने की इजाजत मैंने किसी को नहीं दी थी. बाहर से खुश दिखाई देने वाली लड़की जिसे लोग हर पल हसंते-खेलते देखते थे, उसके बारे में ये अंदाज तक नहीं लगाया जा सकता था कि वो अंदर से इतनी अकेली होगी, ढेर सारे दर्द अपने भीतर समेटे हुए होगी. मैंने अपने आस-पास एक घेरा सा बना लिया था, कोई भी मेरे द्वारा बनाए गए दायरों को नहीं तोड़ सकता था.
  • मुझे इस बात पर यकिन नहीं हो रहा था कि वो सीधा-साधा दिखने वाला लड़का मेरे बनाए गए दायरों को तोड़कर मेरी सोच में समाता चला जा रहा है. शुरू-शुरू में उससे बात करना महज एक औपचारिकता थी. पढ़ाई की वजह से मेरी और उसकी अक्सर बातचीत होती रहती थी. लेकिन मुझे इस बात का इल्म तक नहीं था कि वो मुझे मन ही मन पसंद करता था, मुझसे दीवानों की तरह प्यार करता था, ये अलग बात थी कि आज तक उसने इस बात को मेरे सामने कभी जाहिर नहीं होने दिया था .मुझे छोटी से छोटी तकलीफ होने पर, उसे मुझसे ज्यादा दर्द होता था. कोई ऐसे भी किसी को चाह सकता है यकीन करने में बहुत वक्त लगा. लेकिन समय के साथ मुझे इस बात का एहसास  हो  गया कि  ये लड़का मेरी चिंता करता है, मेरा ख्याल रखता है. उसके प्यार में पागलपन था, मेरी ख़ुशी के लिए वो कुछ भी देता था. वो लड़का शांत और गंभीर स्वभाव का था लेकिन वो चालाक भी था. इस बात का अंदाजा इस चीज से लगाया जा सकता है कि उसने बिना इस बात का जिक्र किये कि उसे मुझसे बातें करना अच्छा   लगता है, मेरे साथ वक्त बिताना अच्छा लगता है, बड़ी ही चालाकी से मुझसे दोस्ती के लिए पूछा. उस दिन संयोग से क्लास रूम  में कोई नहीं था- ‘’ उसने कहा कि क्या मैं आपका हाथ पकड़ सकता हूँ ‘’ पहले तो मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ कि आज इस लड़के को क्या हो गया है ये इस तरह की बातें क्यों कर रहा है. लेकिन मुझे उसपर पूरा  भरोसा था कि वो कोई गलत काम नहीं करेगा, उसकी आँखों में सच्चाई थी और ये बात मैं साफ़-साफ़ देख सकती थी. उसने इतनी Honestly मेरा हाथ माँगा  कि मैं उसे मना नहीं कर पाई और मैंने उसे अपना हाथ दे दिया. ‘’उसने मेरा हाथ अपने हाथों में लिया और कहा, क्या आप मेरी दोस्त बनेंगी आप मुझे अच्छी लगती हैं और मैं आपमें एक अच्छा दोस्त देखता हूँ, अच्छा इंसान देखता हूँ और मैं चाहता हूँ कि मैं जिंदगी भर आपका दोस्त बनकर आपके साथ रहूँ.’
  • by shamin imtiyaz

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