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Wednesday, 23 March 2016

होली पर लक्ष्मीपूजन holi about in hindi 2016 latest news for holi


समकालीन कहानियों में प्रस्तुत है भारत से
मदनमोहन शर्मा अरविंद की कहानी 
होली पर लक्ष्मीपूजन
होली का नाम सुनते ही अतीत के न जाने कितने चित्र गौरी शंकर की आँखों के आगे घूम गये। न जाने कितनी यादें थीं जो फिर से मन की गहराइयों को छू गयीं। टेसू के फूलों का रंग और उसकी महक, ढोलक की थाप और ढोल की धमक, एकसाथ झूमने-गाने की मस्ती और अकेलेपन की कसक, सब कुछ जैसे एक पल में महसूस कर लिया उन्होंने। याद आ गया रामचरन पाण्डे, गुलाल तो माथे पर चुटकी भर लगाता था पर कम्बख्त बाँहों में भर कर ऐसा भींचता कि साँस रुकने लगती, साथ में उसका भाई, ‘थोड़ा लगाऊँगा’ कहते-कहते सिर में ढेर सारा रंग डाल कर भाग जाता। याद आये लाला हजारी मल, पार्वती इस लिये उनसे पर्दा करती कि वे उसके पति से उम्र में चार दिन बड़े थे। धूल वाले दिन लाला जबरन पार्वती का घूँघट हटाते, गुलाल लगाते और ठहाका मार कर कहते ‘फागुन में जेठ कहे भाभी’। पार्वती फिर भी लालाजी के पैर छूती और वे उसे जी भर कर आशीर्वाद देते। अब कहाँ हैं ऐसे लोग।...आगे-*
पूनम पांडेय की
लघुकथा- जवाब
*
दिनेश का संस्मरण
होली आई होगी 

*by aslam sonu a s group
परिचय दास का ललित निबंध
आओ व्यक्ति का वसंत खोजें

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