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Wednesday, 23 March 2016

अमिताभ बच्चन के प्रसीद फ़िल्मी डॉयलॉग्स dailogs of abhitavh bacchan bigboss

अमिताभ बच्चन के प्रसीद फ़िल्मी डॉयलॉग्स

अमिताभ बच्चन (जन्म-11 अक्टूबर, 1942) बॉलीवुड के सबसे लोकप्रिय अभिनेता हैं।1970 के दशक के दौरान उन्होंने बड़ी लोकप्रियता प्राप्त की और तब से भारतीय सिनेमा के इतिहास में सबसे प्रमुख व्यक्तित्व बन गए हैं।
बच्चन ने अपने करियर में कई पुरस्कार जीते हैं, जिनमें तीन राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार और बारह फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार शामिल हैं। उनके नाम सर्वाधिक सर्वश्रेष्ठ अभिनेता फिल्मफेयर अवार्ड का रिकार्ड है। अभिनय के अलावा बच्चन ने पार्श्वगायक, फिल्म निर्माता और टीवी प्रस्तोता और भारतीय संसद के एक निर्वाचित सदस्य के रूप में १९८४ से १९८७ तक भूमिका की हैं। इन्होंने प्रसिद्द टी.वी. शो “कौन बनेगा करोड़पति” में होस्ट की भूमिका निभाई थी।
  • “ये तुम्हारे बाप का घर नहीं, पुलिस स्टेशन है, इस लिए सीधी तरह खड़े रहो।”
    ~ जंजीर (सलीम- जावेद)
  • “सौदा करना तो आपको नहीं आता, आप इस बिल्डिंग के लिए दस लाख भी ज्यादा मांग लेते, तो भी मैं खरीद लेता। यह बिल्डिंग मेरी माँ के लिए एक तोहफा है।”
    ~ दीवार (जावेद अख्तर)
  • “आज खुश तो बहुत होगे तुम… जो आज तक तुम्हारे मंदिर की सीढियां नहीं चढ़ा… जिसने कभी तुम्हारे सामने हाथ नहीं जोड़े वो आज तुम्हारे सामने हाथ फैलाये खड़ा है… ये तुम्हारी जीत नहीं हार है हार… हम घर से बेघर हो गए… मेरा बाप जीते जी मर गया… मेरी माँ सुहागन होते हुए भी विधवा बनी रही… लेकिन आज तक मैंने तुमसे कुछ नहीं माँगा…”
    ~ दीवार (जावेद अख्तर)
  • “ये देखो ये वही मैं हूँ और ये वही तुम। आज मैं कहाँ पहुच गया हूँ और तुम कहाँ हो। आज मेरे पास बिल्डिंगें हैं, गाडी है, बैंक बैलेंस है… तुम्हारे पास क्या है… क्या है तुम्हारे पास!”
    ~ दीवार (जावेद अख्तर)
  • “हाँ, मैं साइन करूंगा, लेकिन मैं अकेले साइन नहीं करूंगा, मैं सबसे पहले साइन नहीं करूंगा। जाओ पहले उस आदमी का साइन ले के आओ, जिसने मेरा बाप को चोर कहा था; पहले उस आदमी का साइन ले के आओ जिसने मेरी माँ को गाली दे के नौकरी से निकल दिया था; पहले उस आदमी का साइन ले के आओ जिसने मेरे हाथ पे ये लिख दिया था… उसके बाद, उस के बाद, मेरे भाई, तुम जहाँ कहोगे मैं वहां साइन कर दूंगा।”
    ~ दीवार (जावेद अख्तर)
  • “रिश्ते में तो हम तुम्हारे बाप लगते हैं, नाम है शहेंशाह।”
    ~ शहेंशाह (इन्दर राज)
  • “सही बात को सही वक़्त पे किया जाये तो उसका मज़ा ही कुछ और है, और मैं सही वक़्त का इंतज़ार करता हूँ।”
    ~ त्रिशूल (जावेद अख्तर)
  • “मैं पांच लाख का सौदा करने आया हूँ, और मेरे जेब में पांच फूटी कौड़ी भी नहीं है!”
    ~ त्रिशूल (जावेद अख्तर)
  • “जिसने पचीस साल से अपनी माँ को थोडा थोडा मरते देखा हो, उसे मौत का क्या डर ?”
    ~ त्रिशूल (जावेद अख्तर)
  • “और आप, Mr RK Gupta, आप मेरे नाजायज़ बाप हैं। मेरी माँ को आप से चाहे ज़िल्लत और बेईज्ज़ती के सिवा कुछ ना मिला हो, लेकिन मैं अपनी माँ, उसी शांति कि तरफ से आपकी सारी दौलत वापस लौटा रहा हूँ। आज आप के पास आपकी सारी दौलत सही, सब कुछ सही, लेकिन मैंने आप से ज्यादा गरीब आदमी आज तक नहीं देखा। गुड बाय, Mr RK Gupta.”
    ~ त्रिशूल (जावेद अख्तर )
  • “मूछें हों तो नथ्थूलाल जैसी वरना ना हो.”
    ~ शराबी (कादर खान)

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