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Friday, 19 February 2016

एक दिन बादशाह अकबर ने बीरबल को आदेश दिया, "चार ऐसे मूर्ख ढूंढक aslam sonu a s group

एक दिन बादशाह अकबर ने बीरबल को आदेश दिया, "चार ऐसे मूर्ख ढूंढकर लाओ जो एक से बढ़कर एक हों। यह काम कोई कठिन नहीं है क्योंकि हमारा राज्य तो क्या, पूरी दुनिया मूर्खों से भरी पड़ी है।"
अकबर बादशाह की आज्ञा से बीरबल नगर में मूर्खों को ढूंढने निकले।घूमते-फिरते उन्होंनें एक आदमी को देखा जो एक थाल में जोड़े-बीडे अौर मिठाई लिए जल्दी-जल्दी कहीं जा रहा था।
बीरबल ने कठिनाई से उसे रोककर पूछा, "भाई! यह सामान लिए कहां जा रहे हो?"
"मेरी औरत ने दूसरा पति किया है, जिससे उसे पुत्र उत्पन्न हुआ है,  इसलिए उसे बधाई देने जा रहा हूं।" उस व्यक्ति ने कहा।
बीरबल ने उसे अकबर बादशाह की इच्छानुकूल मूर्ख समझकर अपने साथ ले लिया।
आगे चलकर उन्हें एक और आदमी मिला जो घोड़ी पर सवार था। वह सिर पर घास का बोझ रखे हुए था।
बीरबल ने उससे पूछा, "भाई, यह बोझ तुमने सिर पर क्यों रखा है?"
"मेरी घोडी ग़र्भिणी है। इसलिए इसे अपने सिर पर रखा है क्योंकि इस पर रखने से बोझ अधिक हो जाएगा।" उस आदमी ने जवाब दिया।
बीरबल ने उसको भी अपने साथ ले लिया। दोनों को लेकर दरबार में पहुंचे और अकबर बादशाह से प्रार्थना की कि चारों मूर्ख हाजिर हैं।
अकबर बादशाह ने कहा, "यह तो केवल दो हैं ! बाकी दो कहां हैं?"
तभी बीरबल बोले, "तीसरे आप हैं। जो ऐसे मूर्खों को इकठ्ठा करते हैं और चौथा मैं हूं जो ढूंढकर लाया हूँ ।"
अकबर बादशाह बीरबल के जवाब से अत्यधिक प्रसन्न हुए और जब उन्हें उन दोनों आदमियों की मूर्खता का पता चला तो बहुत हँसे। 
[भारत-दर्शन संकलन]

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